फलं पापस्य नेच्छन्ति पापं कुर्वन्ति सादरा:।।
लोगों को धर्म का फल चाहिए, पर धर्म का आचरण नहि! और पाप का फल नहीं चाहिए, पर गर्व से पापाचरण करना है।
|| धर्मो रक्षति रक्षितः ||
🚩|| जय श्री राम ||🚩
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